इंटरनेट पर कोई चीज खोजनी हो तो आपको सबसे पहले गूगल की याद आती है. गूगल पर अपनी समस्या डालते ही गूगल बाबा आपको उसका हल निकाल कर दे देते हैं.
गूगल तो आपकी हर समस्या को जानता है लेकिन आप गूगल के बारे में बहुत कम जानते हैं. पिछले साल करीब 20,00,00,00,00,000 लोगों ने इंटरनेट पर सर्च करने के लिए गूगल का सहारा लिया था.
भारत में भी गूगल यूजर्स की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन गूगल को जानने वालों की संख्या बहुत कम है. दो पीएचडी की छात्रों द्वारा तैयार किया गया सर्च इंजन आज आपकी जरूरत बन गया है. जानिए गूगल बारे में 7 वो बातें जो आपको शायद ही पता हों
1. पहला ट्वीट
ट्विटर दुनिया में मार्च 2006 में आ गया था. और अगले एक दो सालों में पूरी दुनिया में इसके बारे हलचल थी . लेकिन गूगल ने 26 फरवरी 2009 में पहला ट्वीट किया था. ये ट्वीट कंपनी का सिम्बोलिक था. जिसको देखने पर आपको सिर्फ नम्बर ही समझ आएंगे.
जो लोग इसे पढ़कर अपना सिर खुजा रहे हैं. उन्हें बता दें ये बाइनरी कोड लैंग्वेज है. जिसका मतलब‘I’m feeling lucky’ है.
2. गूगल फाउंडर
लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन ने गूगल सर्च इंजन 1996 में पीएचडी करते हुए शुरू किया था. गूगल का बर्थडे 15 सितंबर है जन्म का साल है 1997. 15 सितम्बर को ही गूगल.कॉम डोमेन रजिस्टर करवाया गया था.
3. गूगोल से बना गूगल
पेज और ब्रिन ने सर्च इंजन की खोज के बाद इसका नाम ‘बैकरब’ दिया था. क्योकि इस सर्च इंजन का काम साइट्स के बैकलिंक की जांच करना था. इसके बाद 1 से लेकर 100 जीरो तक बनाने पर इसका नाम गूगोल खोज गया था.
गूगोल को गलत लिखने पर गूगल का जन्म हुआ. जिसके बाद गूगल के नाम से नई खोज शुरू हुई. 90 के दशक में गूगल एक नया शब्द था. लेकिन आज गूगल किसी के लिए नया नहीं है. सबसे पहले स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर गूगल का इस्तेमाल किया गया था.
4. इतना साफ सुथरा क्यों हैं गूगल का होमपेज
गूगल का होमपेज काफी सीधा और साफ है. लेकिन इसके पीछे की कहानी बड़ी शानदार है. गूगल के इंजीनियर दुनिया के समझदार इंजीनियर हो सकते हैं, लेकिन गूगल फाउंडर्स को एचटीएमएल की कोई खास समझ नहीं थी. वे एक त्वरित इंटरफेस बनाना चाहते थे, जो कि एचटीएमएल ज्ञान की कमी के कारण स्वच्छ इंटरफेस में बदल गया.
5. पहला गूगल-डूडल
सभी को गूगल डूडल की क्रिएटिविटी बेहद पसंद है. गूगल डूडल बनाने का आइडिया कहां से आया था. इसके पीछे भी काफी रोमांचक किस्सा है.
ब्रिन और पेज हर साल ‘बर्निंग मेन फेस्टिवल’ देखने हर साल नेवेडा जाते हैं. जिस साल गूगल की खोज हुई दोनों नवेडा गए हुए थे. अपनी साइट के विजिटर्स को बताने के लिए उन्होंने गूगल के होम पेज पर ‘बर्निंग मेन डूडल’ लगा दिया था.
जिससे उनके यूजर्स को पता लग जाए कि दोनों ऑफिस में नहीं है और किसी भी टेक्निकल प्रॉब्लम के लिए उन्हें इंतजार करना चाहिए. जो कि दोनों के ऑफिस से बाहर होने के बारे में बता रहा था.
6. गूगलर्स और नूगलर्स
ज्यादातर लोगों को गूगल के हेडक्वार्टर के बारे में पता है. गूगल के हेडक्वार्टर को गूगलप्लेक्स और गूगल कर्मियों को गूगलर्स के नाम से जाना जाता है. लेकिन बहुत कम ही लोगों को पता है जो लोग पहली बार गूगल जॉइन करते हैं उन्हें नूगलर्स कहा जाता है.
उन्हें एक नूगलर हैट भी पहनना पड़ता है.

गूगल के पूर्व कर्मियों को एक्सूगलर कहा जाता है. और आप मेरे दोस्त हो तो आपको ऊग्लेर कहा जाएगा.
7. आई एम फीलिंग लकी
गूगल के होम पेज पर आई एम फीलिंग लकी भी नजर आता है. इस पर शायद ही आप कभी गए हों. लेकिन आप जानकर दंग रह जाएंगे कि इस पेज से गूगल को हर साल 110 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है.
ब्रिन का कहना है कि इस पर गूगल सर्च के मात्र 1 फीसदी यूजर ही आई एम फीलिंग लकी पर क्लिक करते हैं. बावजूद इसके इससे होने वाला नुकसान 110 मिलियन डॉलर है. यह आंकड़ा 2007 का है.
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